Shrimad Bhagwat Geeta Arjun Vishad Yog - Shlok 1 |अर्जुन विषाद योग श्लोक 1


Shrimad Bhagwat Geeta Arjun Vishad Yog - Shlok 1 | श्रीमद्भागवत गीता अर्जुन विषाद योग - श्लोक 1

Shrimad Bhagwat Geeta Arjun Vishad Yog - Shlok 1 | श्रीमद्भागवत गीता अर्जुन विषाद योग - श्लोक 1

     उवाच:- 
 धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।
 मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय ॥१॥  
श्लोक का अर्थ: धृतराष्ट्र बोले- हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा रखने वाले मेरे पुत्र और पांडव एकत्र हुए, तो उन्होंने क्या किया?
सार्थक व्याख्या: इस श्लोक में धृतराष्ट्र, जो हस्तिनापुर के अंधे राजा और कौरवों के पिता हैं, संजय से महाभारत युद्ध के मैदान में क्या घटित हो रहा है, यह जानने के लिए पूछते हैं। कुरुक्षेत्र को "धर्मक्षेत्र" कहा गया है, जो यह संकेत देता है कि यह भूमि सत्य और न्याय की रक्षा के लिए है। धृतराष्ट्र के मन में अपने पुत्रों के प्रति मोह और युद्ध के परिणाम को लेकर चिंता स्पष्ट होती है। वे जानना चाहते हैं कि उनके पुत्र और पांडव, जो दोनों ही युद्ध के लिए तत्पर हैं, युद्धभूमि में क्या कर रहे हैं।
महत्वपूर्ण संदेश: भगवद गीता के इस पहले श्लोक में धृतराष्ट्र के माध्यम से यह दिखाया गया है कि युद्ध केवल बाहरी संघर्ष नहीं है, बल्कि आंतरिक संघर्ष का भी प्रतीक है। धर्मक्षेत्र और कुरुक्षेत्र की भूमि जीवन के नैतिक और आत्मिक संघर्षों का प्रतिनिधित्व करती है। यह श्लोक इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि सही और गलत, धर्म और अधर्म के बीच का संघर्ष किसी भी व्यक्ति के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। 
    धृतराष्ट्र के इस प्रश्न में न केवल एक पिता की चिंता झलकती है, बल्कि यह भी इंगित होता है कि जब कोई व्यक्ति अपने स्वार्थ और परिवार के प्रति अंधा हो जाता है, तो वह सत्य और धर्म से भटक सकता है। इस श्लोक का संदेश है कि हमें अपने जीवन के कुरुक्षेत्र में सदैव धर्म के मार्ग पर चलते हुए सही निर्णय लेने चाहिए, चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों। यह श्लोक केवल महाभारत युद्ध की शुरुआत का वर्णन नहीं है, बल्कि जीवन में सत्य और न्याय के प्रति हमारी आस्था को भी दर्शाता है। भगवद गीता का यह आरंभिक श्लोक हमें अपने भीतर के संघर्षों को पहचानने और धर्म के मार्ग पर अडिग रहने की प्रेरणा देता है। 
ॐ श्रीमद्भागवत गीता - 0m Shrimad Bhagwat Geeta

< Next  Shlok >

कोई टिप्पणी नहीं

Blogger द्वारा संचालित.